"वक्त"

इस वक्त मे कोई बात हैं,
जो चल रहा मेरे साथ हैं;
छूट रहा, अब अपनो का साथ हैं,
वक्त का ही अब साथ हैं।

सफर मे है जो चल पड़े,
न साथ हैं कोई खड़ा;
अपनो से जो छूट पड़े,
ये वक्त की ही तो बात हैं।

जो मां- बाप न सिखा सके,
वो वक्त ने सिखा दिया;
जो गुरू भी न बता सके,
वो वक्त ने बता दिया।

जो वक्त से हारा हुआ,
वो क्या ही जीत पायेगा;
जो वक्त से विजयी हुआ,
उसे कौन हरा पायेगा?

रुके नहीं, डटे रहे,
वक्त के खिलाफ हम;
जिस वक्त का इंतज़ार था,
वो चल पड़ा अब साथ हैं।
वो चल पड़ा अब साथ हैं।

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